शहर की मस्जिदों मेंं आज जुमे की नमाज के दौरान लॉकडाऊन रहा। देश मेंं आजादी से पहले और बाद यह पहला मौका है कि मुसलमानों ने जौहर की नमाज़ अपने घरों मेंं अदा की और मस्जिदों मेंं 5 लोगों की जमात से जुमे की नमाज हुई। शहर की अधिकांश मस्जिदों में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति रही। कोरोना वायरस के खतरे के चलते ईदगाह मेंं शहर खतीब और पेश-इमाम मौलाना मोहम्मद याकूब कादरी सहित महज 5 लोगों ने जौहर की नमाज के साथ नमाजे-जुमा जमात के साथ अदा की। मुल्क मेंं कोरोना वायरस से निपटने और दुनियां भर से इसके खात्मे के लिये दुआएं की गई।
इससे पहले गुरूवार को मुफ़्ती-ए-राजस्थान मौलाना शेर मोहम्मद खान रिजवी ने मुस्लिम समाज और प्रदेश के सभी मौलानाओं से अपील की थी कि वो 27 मार्च को नमाज़े-ए-जुमा अपने-अपने घरों में ही अदा करें। मस्जिदों में एक साथ जमा होकर जमात से जुमा की नमाज़ पढ़ने के लिए मना किया। उन्होंने सभी लोगों से भी अपील की कि पूरे मुल्क मेंं कोरोना वायरस से निपटने के लिये सरकार, पुलिस व प्रशासन को उनके किए जा रहे प्रयासों मेंं सहयोग करें। मौलाना ने आम मुसलामानों को हिदायत की कि वे अपने घरों मेंं महफूज रहें और पूरा एहतियाता बरतें।
ईदगाह के मुकामी लोगों ने ईदगाह परिसर मेंं जगह-जगह मोर्चा संभाला और नमाज के लिए बाहर से यहां आने वाले हर व्यक्त्ति से विनती की कि वे लौटकर अपने घरों मेंं ही वक़्ते-जौहर की नमाज अदा करें। साथ ही याद दिलाते रहे कि कोरोना वायरस जैसी खतरनाक बीमारी के दुनियां से खात्मे की विशेष दुआ करें।
जुमे की नमाज मेंं होने वाली अजान के लिए मस्जिदों मेंं लॉउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया गया। इस अवसर पर शांति एवं कानून व्यवस्था के चाक चौबंद प्रबन्ध किए गए।